शुभ अशुभ नक्षत्र ज्योतिष रहस्य

शुभ अशुभ नक्षत्र ज्योतिष रहस्य

ज्योतिष हिन्दी डॉट इन के पाठकों का अभिनन्दन हमारा प्रयास रहता है की आपके समक्ष कोई न कोई ऐसी जानकारी प्रस्तुत की जाए जिससे आप लाभान्वित हों और आपके ज्योतिषीय ज्ञान में वृद्धि आवश्य हो आज हम आपसे शुभ अशुभ नक्षत्रों सम्बन्धी जानकारी साँझा कर रहे हैं किसी भी कार्य को आरम्भ करने से पूर्व यदि इन नक्षत्रों का विचार कर लिया जाए तो कार्य भली प्रकार से संपन्न होने के संभावना बलवती होती है और कार्य से सम्बंधित संभावित अशुभ फलों में कमी भी आती है। आप अपने सुझाव हमारी वेबसाइट के मैसेज बॉक्स में हमें भेज सकते हैं।

शुभ अशुभ नक्षत्र  

नक्षत्र

तारा समूह जो आकाश मण्डल में विभिन्न प्रकार की आकृतिओं में दृष्टि मान होते हैं को नक्षत्रों की संज्ञा प्राप्त है। ये तारापुंज भिन्न भिन्न प्रकार की आकृतियों में दिखाई देते हैं। ऋषि मुनियों ने आकाश को सत्ताईस भागों में विभाजित किया और प्रत्येक भाग का आधिपत्य एक एक नक्षत्र को प्रदान किया। फलादेश के समय नक्षत्रों के स्वामियों का भी अध्ययन किया जाता है।    

नक्षत्र पद

अधिक सूक्ष्मता के लिए नक्षत्रों को भी चार चार चरणों में विभक्त किया गया जिन्हें नक्षत्र पद कहा जाता है।

पंचक संज्ञक नक्षत्र

केतु और बुद्ध के नक्षत्रों को पंचक नक्षत्रों की संज्ञा प्राप्त है। जब कोई बालक इन नक्षत्रों में जन्मता है तो उसकी गृह शांति करवाना आवश्यक होता है। ये नक्षत्र हैं :          

अश्विनी, मघा, मूल, आश्लेषा, "ज्येष्ठा" ज्येष्ठा और रेवती।

ध्रुव संज्ञक नक्षत्र

ध्रुव संज्ञक नक्षत्र वह नक्षत्र हैं जिन्हें कार्य में बाधा डालने वाला कहा गया है। ये नक्षत्र हैं :

उत्तरा फाल्गुनी, "उत्तरा षाढ़ा"उत्तरा षाढ़ा, उत्तरा भाद्रपद व्रोहिणी।

चर अथव चल नक्षत्र

इन नक्षत्रों का फल कार्य की प्रकृति पर निर्भर करता है या कार्य के अनुसार इनका फल कहा जाता है। ये नक्षत्र हैं :

स्वाति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा और शतभिषा।

मिश्र संज्ञक नक्षत्र

विशाखा वकृति का नक्षत्रों को मिश्र संज्ञक नक्षत्र कहा जाता है। ये सामान्य नक्षत्र हैं।

लघु संज्ञक नक्षत्र

हस्त, अश्विनी, पुष्यव् अभिजीत नक्षत्रों को लघु संज्ञक नक्षत्र कहा जाता है। ये अपना फल कार्य के अनुसार प्रदान करते हैं।

मैत्र संज्ञक नक्षत्र

मृगशिरा, चित्रा, "रेवती" रेवती और अनुराधा मैत्र संज्ञक नक्षत्र कहे जाते हैं। इन्हें सामान्य नक्षत्र कहा जाता है।

दारुण नक्षत्र

मूल, ज्येष्ठा, आर्द्रा और आश्लेषा को दारुण नक्षत्र कहा जाता है। इन नक्षत्रों में कार्य शुरू करना पीड़ादायक होता है।

अपने कुलदेवी कुलदेवता को हमेशा याद रखें। सर्वप्रथम इन्हें सम्मान दें। ये ही सभी प्रकार के सुख दुःख में आपके सच्चे साथी हैं। अंत में सभी को शिवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनाएं आदि योगी sका आशीर्वाद आप सभी को प्राप्त हो। ॐ नमः शिवाय।