जड़ी-बूटियां : बहुत गुणकारी औषधि है मुलहठी

जड़ी-बूटियां : बहुत गुणकारी औषधि है मुलहठी

जानिए मुलहठी का परिचय, गुण और उपयोग

भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली में मुलहठी (जिसे मुलेठी भी कहा जाता है) एक अत्यंत उपयोगी एवं सुपरिचित जड़ी-बूटी है। यह केवल एक घरेलू औषधि ही नहीं, बल्कि आयुर्वेद के अनेक योगों का महत्वपूर्ण घटक भी है। इसका प्रयोग न केवल रोगों में राहत के लिए किया जाता है, बल्कि यह शरीर को बल, ऊर्जा और सौंदर्य प्रदान करने वाली एक उत्तम वनस्पति भी मानी जाती है।

मुलहठी का परिचय

मुलहठी एक 5–6 फीट ऊँचा पौधा होता है, जिसकी जड़ें विशेष रूप से औषधीय होती हैं। इसका स्वाद स्वाभाविक रूप से मीठा होता है और इसे चूसने पर मीठा रस आता है। भारत में यह मुख्यतः जम्मू-कश्मीर और देहरादून क्षेत्र में पाई जाती है, लेकिन अधिकांशतः इसे विदेशों से आयात भी किया जाता है।

मुलहठी को सूखाकर उसका चूर्ण, सत (रुब्बे सूस) और क्वाथ तैयार किया जाता है, जो वर्षों तक खराब नहीं होता। यह एक ऐसी औषधि है जिसे किसी भी मौसम में सेवन किया जा सकता है।

मुलहठी के प्रमुख गुण

मुलहठी शीतल प्रकृति की, मधुर रस वाली और भारी गुणधर्म वाली औषधि है। इसके सेवन से शरीर पर निम्नलिखित सकारात्मक प्रभाव होते हैं:

  • शीतवीर्य और स्निग्ध – शरीर में ठंडक और ताजगी प्रदान करती है

  • बलवर्धक व वीर्यवर्धक – शरीर को बल, ऊर्जा और प्रजनन क्षमता देने में सहायक

  • स्वर और केशों के लिए हितकारी – गले की खराश व आवाज की स्पष्टता में लाभकारी, बालों को पोषण देती है

  • त्रिदोषनाशक – वात, पित्त और कफ सभी दोषों को संतुलित करती है

  • घाव और शोथ नाशक – सूजन व घाव को ठीक करने में प्रभावशाली

  • पाचन में सहायक – भूख बढ़ाती है, अम्लपित्त व वमन में लाभ देती है

  • नेत्रों के लिए लाभकारी – आंखों की रोशनी के लिए उपयोगी मानी जाती है

मुख्य उपयोग और औषधीय प्रयोग

  • खांसी व गले की खराश में – मुलहठी को चूसने से कफ ढीला होकर निकल जाता है और स्वर में स्पष्टता आती है।

  • दमा व कफ रोग में – इसका क्वाथ बनाकर पीने से श्वसन मार्ग साफ होता है।

  • स्वरभंग में – गायक, वक्ता या अध्यापक इसे अक्सर स्वर सुधार के लिए प्रयोग करते हैं।

  • बलवर्धक योगों में – मुलहठी कई बलवर्धक, पौष्टिक चूर्णों व लेह्य में उपयोग की जाती है।

  • आयुर्वेदिक योगमधुयष्टादि चूर्ण, यष्टादि क्वाथ, यष्टीमध्वादि तेल आदि में इसका प्रयोग होता है।

  • मीठे जुलाब और गोलियों में – मीठी गोली, खांसी की गोली, इत्यादि में इसका स्वाद और औषधीय गुणों के लिए प्रयोग किया जाता है।

विभिन्न भाषाओं में मुलहठी के नाम

भाषा नाम
संस्कृत यष्टीमधु
हिन्दी मुलहठी / मुलेठी
मराठी ज्येष्ठीमध
गुजराती जेठीमध
बंगाली यष्टीमधु
तेलुगू यष्ठीमधुकम
तमिल अतिमधुरम
फारसी वेख महक
अंग्रेज़ी Licorice
लैटिन नाम Glycyrrhiza glabra

मुलहठी में कई सक्रिय और औषधीय यौगिक पाए जाते हैं:

  • ग्लिसीराइजिन – शक्कर से 50 गुना अधिक मीठा, प्रमुख सक्रिय तत्व

  • ग्लिसीराजिक एसिड – सूजन कम करने वाला यौगिक

  • स्टिरॉयड इस्ट्रोजन – हार्मोन संतुलन में सहायक

  • अन्य तत्व – ग्लूकोज, सुक्रोज, मैनाइट, स्टार्च, ऐस्पैरेजिन, तिक्त द्रव्य, राल, उड़नशील तेल और रंगद्रव्य

निष्कर्ष

मुलहठी केवल एक घरेलू नुस्खा नहीं, बल्कि आयुर्वेद का अमूल्य रत्न है। यह शरीर, स्वर, नेत्र, बाल और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभदायक सिद्ध हुई है। यह एक ऐसी वनस्पति है, जिसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर शरीर को प्राकृतिक ऊर्जा और रोग प्रतिरोधक शक्ति प्रदान की जा सकती है।